Happiness.

क्या आपका पैसा बन रहा आपके दुःख का कारण ?

यह सच है! बहुत ज्यादा पैसा आपको दुखी कर सकता है! हैप्पीनेस कोचिंग देते समय, मैं बहुत सारे उन लोगों के संपर्क में आती हूं

जिनके पास सब कुछ है ,एक बढ़िया करियर, मेहेंगी कारें, फैंसी कॉन्डो, विदेशी छुट्टियां, प्यारा परिवार, बच्चे…। पर इनमे से बहुत सारे लोग कहते हैं की मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं खुश क्यूँ नहीं हूँ. क्या यह है कि “धन आपको दुखी करता है? क्या  बहुत अधिक पैसा एक बुरी चीज हो सकती है।

मुझे यकीन है कि यह सवाल बहुत से लोगों को परेशान करता है, आखिर सब कुछ होते हुए भी मुझे खुशी क्यों नहीं मिल रही है?

इसको समझाने के बहुत से तरीके हैं और मैं शुरू करती हूँ  ” experience स्ट्रेचिंग हाइपोथीसिस” से । इसका सीधा सा मतलब है कि जैसे-जैसे हम बार-बार एक अनुभव दोहराते हैं, हम इससे प्राप्त होने वाले आनंद को कम करते जाते हैं, .

यह बहुत बुनियादी है। क्या आपको वह समय याद है जब आपने अपनी पहली कार खरीदी थी? आपको परमानन्द की प्राप्ति हुई थी .हर एक दिन आप इसे चलाकर अपार खुशी प्राप्त करते हैं। और फिर क्या हुआ? आप अधिक कमाने लगे, आपको ऐसा लगा कि नई कार ली जाए और फिर हर कुछ वर्षों में आप कार बदलने लगे लेकिन अब यह कार आपको कोई खुशी नहीं देती है। बिल्कुल भी नहीं! कोई भी चीज़ अगर बहुत अधिक है तो वो आपको नाखुश कर सकती है।

हमें वो चीज़े अमीर नहीं बनाती जो हमारे पास है हमें अमीर बनाती हैं वो चीज़े जिन्हें हम ना कह सकते हैं .

मुझे लगता है कि हम सभी इस बात को महसूस कर सकते की हमारी पहली गुड़िया, पहली साइकिल, पहला डिजाइनर बैग ने हमें कैसा महसूस कराया था.

 मुझे प्रसिद्ध लेखक शिवानी एक कहानी की याद आती है. शिवानी एक पहाड़ के गाँव के पड़ोसियों के बारे में बात करती है, जिनके बच्चे आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। एक परिवार शाकाहारी था जबकि दूसरा मांसाहारी था। शाकाहारी बच्चों ने अपने दोस्तों से नॉन-वेज भोजन के स्वाद के बारे में ऐसे किस्से सुने कि वे वास्तव में इसका स्वाद लेना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं थी। तो बच्चों ने एक creative तरीका निकाला .नॉन-वेज दोस्तों ने कहा कि तुम हमें अपने आंगन में इकट्ठा होने वाली इमली दो तो बदले में हम तुम्हे नॉन वेज फूड को सूंघने देंगे। स्वाद नहीं कम से कम खुशबू तो सूंघ लोगे.

इसलिए एक योजना बनाई गई और वेज बच्चे, नॉन वेज बच्चों के  किचन के पास इंतजार करने लगे। जैसे ही माँ ने मांस पकाने के लिए चढ़ाया और दुसरे काम में लग गयी , नॉन-वेज दोस्तों ने अपने शाकाहारी दोस्तों को बुलाने के लिए सीटी बजाई। सभी बच्चे चूल्हे  के आसपास उस क्षण की प्रतीक्षा में मँडराते लगे  जहाँ वे कम से कम गंध का स्वाद ले सकते थे। सबसे बड़े बच्चे ने बर्तन के ढक्कन को हटा दिया , सब ने गहरी सांस ली यह स्वर्ग था, इंद्रियां सिर्फ अनुभव में लथपथ थीं और फिर ढक्कन बंद हो गया; लेकिन खुशबू बच्चों के साथ रही।

शिवानी कहती है कि वह खुद उन बच्चों में से एक थी, वह कहती है कि सुगंध अभी भी उनके पास है. बाद में जब वह नॉन-वेज भोजन करने के लिए स्वतंत्र थी, तब भी वह उसका उतना लुत्फ़ नहीं उठा सकीं जितना उस दिन सिर्फ सुगंध से मिला था.

यानी पहले अनुभव की ख़ुशी सबसे ज्यादा और अलग ही होती है.

ख़ुशी के बारे में सबसे सटीक वैज्ञानिक तथ्य हैं:

  1. जीवन में सबसे अच्छी, मेहेंगी चीजों तक पहुंच होना वास्तव में जीवन के छोटे-छोटे सुखों से आनंद लेने की क्षमता को कम कर सकता है।
  2.  बहुत अधिक होने से आप उस चीज़ से ख़ुशी पाने की शमता को खो देते हैं.

३. किसी भी वस्तु या अनुभव का इंतज़ार उसे पाने से ज्यादा सुखद होता है .

पैसा उतना ही होना चाहिए जितना आपको सुख दे . आखिर वो क्या amount है , जानने के लिए देखिये मेरा ये video.

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