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Generations of a Black Hole image & what makes it a Powerful Discovery till date – Explained AnupmaChandra.com

Blackhold discovery SAGGITTARIUS A*, Andromeda Galaxy also known as Messier 31, M31, or NGC 224

हाल ही में 12/05/2022 को इवेंट हॉरिज़न Event Horizons Telescope के खगोलविदों (astronomers) ने हमारी आकाशगँगा (मिल्की वे(milky way)) के केंद्र में “ब्लैक होल” पृष्टि होने की है।

सबसे पहले इस ब्लैक होल का सुराग सं 2017 में मिला था। तब से लेकर अब तक Event Horizons Telescope के वैज्ञानिकों, भौतिकविदों, और खगोलविदों ने दिन रात पूरे विश्व के विभिन्न देशों में फैली observatories से प्राप्त डेटा को गहन अध्ययन किया। और आज उन्होंने सम्पूर्ण विश्व को इस अद्भुत विशाल खगोलीय पदार्थ “ब्लैक होल” से इस विश्व को परिचित कराया है। जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने 20वीं शताब्दी में सम्भावना व्यक्त की थी।

नमस्कार मैं हूँ अनुपमा चंद्रा, और मैं बनाती हूँ तुम्हें topper. इस post को end तक जरूर पढ़ना, क्योंकि इस post में हम इस अद्भुत एवं विशालकाय “ब्लैक होल” के बारे में बात करने वाले हैं, और साथ ही साथ कुछ ऐसे questions भी solve करंगे जो कि june के महीने में आयोजित होने वाली UPSC Civil Services (Prelims) Examination 2022 के Question paper में Science & Tech section में रखा हुआ है। तो चलो शुरू करते हैं।

किस ब्लैक होल के बारे में पता चला है?

पहले जरा इस बात से पर्दा उठा दें कि जिस ब्लैक होल की घोषणा की गयी है उसका नाम है “Sagittarius A*” [Sgr A *] (उच्चारण: सेज ऐ स्टार)

आखिर ये ब्लैक होल क्या बला होती है?

ये वो खगोलीय पदार्थ (astronomical entity) है जिसके पास बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल होता है। और इससे होकर कोई भी रोशनी आर पार नहीं जा सकती है।

और तो और इनको देखा नहीं जा सकता है, हालाँकि इनके आस पास प्लाज़्मा (चमकदार गैसें)और दूसरी गैसें इसका चक्कर लगाती रहती हैं, और चित्र में दिखाए तरह से इसको प्रकाशित करती हैं। ये ब्लैक होल एक छाया की तरह दिखता है।

एक ब्लैक होल के पास विचरण करने वाले टूटे फूटे तारे, या उल्कापिंड जो भी इसके शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में पहुँचते हैं वो इसमें समा जाते हैं। इस क्षेत्र को “इवेंट हॉरिजोन” (इस बिंदु के बापसी असंभव (point of no return) कहा जाता है। मतलब एक बार अगर ब्लैक होल के “इवेंट हॉरिजोन” लाइन के बाद चले गए तो बापसी की 100% शून्य संभावना है।
इन विशालकाय और शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल वाले ब्रह्मांडीय वस्तुओं का नाम ब्लैक होल कैसे पड़ा?

प्रिंसटन के भौतिक विज्ञानी जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर ने 1960 के दशक में इस शब्द को गढ़ा था। इसका नाम ब्लैक होल रखने के पीछे वैज्ञानिकों का तर्क निम्लिखित है:
एक ऐसी वस्तु जिसके गुरुत्वाकर्षण से रौशनी भी नहीं निकल पाती है अर्थात सबकुछ अँधेरे से परिपूर्ण – को ब्लैक होल का नाम दिया गया।

ब्लैक होल (“Sagittarius A*”) का द्रव्यमान (mass) कितना है?

इसका द्रव्यमान (मतलब बिना किसी आधार (platform) पर रखे हुए इसका भार) – इस Sgr A* का mass हमारे सूर्य का 40 लाख गुना है या लगभग 40 लाख सूर्यों के जितना mass.

ब्लैक होल बनता कैसे है?

अब तक हमने बहुत सारी बातें जान लीं हैं लेकिन ये समझ नहीं आया ऐसी दैत्याकार खगोलीय वस्तुएँ आखिर आती कहाँ से हैं?

इसका उत्तर वैज्ञानिक देते हैं: कि, जब कोई विशालकाय तारा अपने भीतर उपलब्ध सभी ईंधन का बहुत तेजी से खर्च कर देता है तो अपने में ही ढह (collapse) जाता है और फिर ये black hole बन जाता है।

इसके भीतर सिर्फ और सिर्फ घनी गैसें ही होती है और इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है की इसमें से किसी तरह की रोशनी तक नहीं गुजर सकती है।

एक ब्लैक होल के कितने प्रकार होते हैं?

किसी ब्लैक होल का प्रकार उसके mass और आकार (size) पर निर्भर करता है। इस तरह यह तीन तरह के हो सकते हैं:

Primordial black holes:

इस प्रकार का ब्लैक होल एक परमाणु जितना छोटा होता है लेकिन इसका द्रव्यमान एक बड़े पर्वत के द्रव्यमान जितना होता है।

मध्यम आकार या stellar (तारकीय) ब्लैक होल:

इस तरह के ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान का 20 गुणा होता है, और ये 10 मील के व्यास वाली गेंद के अंदर समा सकता है। मिल्की वे (Milky Way) आकाश गँगा में इस तरह के दर्जनों ब्लैक होल सामान्यत: पाए जाते हैं।

Supermassive black hole:

सबसे बड़े आकार के ब्लैक होल को “सुपरमैसिव” कहा जाता है। इन ब्लैक होल में संयुक्त रूप से 1 मिलियन से अधिक सूर्य हैं। वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि हर बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है। आकाशगंगा के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल को धनु A* (Sagittarius A*) कहा जाता है। इसका द्रव्यमान लगभग 4 मिलियन सूर्य के बराबर है

ब्लैक होल के नाम कैसे रखे जाते हैं?

किसी भी ब्लैक होल के नामकरण के लिए, वे जिस भी आकाशगंगा में पाए जाते हैं उनके आधार पर उनका नाम रखा जाता है। हाल ही में पहचाने गए ब्लैक होल के नामकरण के पीछे निम्नलिखित कथन सामने आया है। जो कि ब्लैक होल के अध्ययन के लिए बनाई गई टीम के सदस्य लुइस गोमेज़ के हवाले से हैं:
“यह” (Sagittarius A*) हमारा “ब्लैक होल है, एक ब्रह्मांडीय विशालकाय जिसमें चार मिलियन सूर्य हैं और यह हमसे लगभग 26,000 प्रकाश-वर्ष दूर धनु तारामंडल (constellation of Sagittarius) में स्थित है, जिसके लिए इसे इसका उपनाम धनु A*, या SgrA* रखा गया है। और ये हमारे सौर मंडल के लिए मित्र सामान है।” – लुइस गोमेज़

एक अन्य कथन:

क्या भारत में कोई दूरबीन वेधशाला (telescope observatory) है? या

भारत में दूरबीन वेधशाला (telescope observatory) कहाँ-कहाँ पर स्थित है?

टेलिस्कोप (observatory) भारत में निम्नलिखित स्थानों पर स्थित है
1: 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप, नैनीताल (ऑप्टिकल खगोल विज्ञान)
2: गौरीबिदनूर रेडियो वेधशाला, गौरीबिदनूर
3: जाइंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप, पुणे
4. गिरावली वेधशाला, पुणे (ऑप्टिकल खगोल विज्ञान)
5: भारतीय खगोलीय वेधशाला, हानले, लेह (ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड और गामा-रे टेलीस्कोप के लिए भारत में दुनिया की सबसे ऊंची (4500 मीटर) साइट है।)
6: कोडईकनाल सौर वेधशाला, कोडाईकनाल शहर, डिंडीगुल जिला, तमिलनाडु राज्य, भारत।
7: मद्रास वेधशाला, चेन्नई
8: ऊटी रेडियो टेलीस्कोप, ऊटी।
9: उदयपुर सौर वेधशाला, उदयपुर
10: वेणु बप्पू वेधशाला, वेल्लोर, तमिलनाडु।

ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित वेधशाला कौन सी है?

मद्रास वेधशाला की स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1786 में चेन्नई (तब मद्रास) में की थी। एक सदी से भी अधिक समय तक यह भारत में एकमात्र खगोलीय वेधशाला थी जो विशेष रूप से सितारों पर काम करती थी। वेधशाला में खगोलविदों में नॉर्मन रॉबर्ट पोगसन, माइकल टॉपिंग और जॉन गोल्डिंगम थे। 1899 तक, इसे मौसम संबंधी आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए हटा दिया गया था।

ब्लैक होल को धरती से कैसे पहचानते हैं?

प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत (theory of general relativity) दिया था। ये सिद्धाँत हमें गुरुत्वाकर्षण के बारे में पूरे वैज्ञानिक तौर से समझाता है। इस सिद्धाँत के आधार पर कुछ अन्य वैज्ञानिकों पर पता लगाया कि ब्रह्माण्ड में कुछ ऐसा भी हो सकता है जो अपने आस पास की हर एक चीज को अपने गुरुत्वाकर्षण बल से निगल सकता है। 

हालाँकि, यहाँ पर प्रश्न ये है कि हमने (मनुष्य) ऐसा क्या किया जो हमे ये ब्लैक होल या दूसरी galaxies दिखाई देने लगे?

जैसा कि हम जानते हैं की हम सिर्फ उन्ही चीजों को देख पाते हैं तो हमारी आँखों को दिखाई देता है। यानी हमारी आँखें सिर्फ visible lights को ही देख पाती हैं और visible lights इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का एक छोटा सा हिस्सा है।

ऑप्टिकल टेलस्कोप के लिए black होल को देख पाना असंभव है, क्योंकि ये तरंगों के छोटे से हिस्से को देख पता है।  इस समस्या का समाधान करने के लिए ही वैज्ञानिकों ने अलग तरह का टेलस्कोप बनाया है जिसके द्वारा हम electro magnetic radiation की अलग-अलग wave lengths और frequencies की तरंगों को collect कर सकता है। जितना कम तरंगधैर्य (wavelength) उतना ही ज्यादा strong frequencies।हमारे पपोसक्षदफगब;लिककल्म।,

वैज्ञानिकों ने ब्रम्हांड से आने वाले विभिन्न तरंगों को स्टडी करने के लिए 2009 में एक अलग तरह का टेलिस्कोप तैयार किया। इसी टेलिस्कोप का ही नाम रखा गया – “इवेंट होराइजन टेलेस्कोप (EHT.)” 

इसी टेलेस्कोप द्वारा ही मनुष्य अब wavelength के अध्ययन के आधार पर 2 बार ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है।

EHT टेलिस्कोप कोई सामान्य टेलिस्कोप नहीं है, दरअसल ये 80 से ज्याद वेधशाला (observatories) का समूह है जो सैगिटेरिअस A* से आने वाली तरंगो के डाटा को स्टोर करते हैं। और इन डाटा को 300 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दिन रात पढ़ाई की है। 

ये टेलिस्कोप ब्रह्माण्ड से आने वाले रेडियो तरंगो को पहचानने में सक्षम है। 

पृथ्वी किस आकाशगंगा (गैलेक्सी) में है?

Milky Way Galaxy 

Milky Way Galaxy के पड़ोस की गैलेक्सी का नाम क्या है?

एंड्रोमेडा गैलेक्सी। इसके ब्लैक होल का नाम है M87*

इस सीरीज से रिलेटेड प्रश्न जल्दी ही प्रकाशित किए जाएंगे। आशा है इस explained सीरीज के माध्यम से आपके परीक्षा में 4-6 नंबर पक्के हो चुके हैं।

अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।

 

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