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IAS Motivational Story I K JaiGanesh I 6 failed attempts I Full Story Hindi

IAS Motivational Story Ka Jaiganesh

IAS अफसर  ( IAS Officer) K. Jaiganesh की धैर्य और दृढ़ संकल्प की अविश्वसनीय कहानी : He tells us about how to become an IAS Officer. IAS Motivational Story

इस ब्लॉग में आपको मिलेगा

  • UPSC सिविल सेवा क्यूँ इतने लोगों का सपना है. K Jaiganesh की कहानी .
  • ६ विफल प्रयास ! क्या हुआ उसके बाद . How to prepare for IAS
  • Jaiganesh का प्रारंभिक जीवन और कठिनाईयां
  • किस चीज़ ने दिया उनको सहारा और विश्वास
  • पता भी नहीं था IAS का फुल फॉर्म फिर कैसे किया
  • शुरू में मिली असफलता पर करने की ठानी
  • एक वेटर से IAS का सफ़र आसान नहीं था . How to become ias
  • कोशिश करने वालों की हार नहीं होती . Inspiring story of an IAS

कई भारतीय माता-पिता के लिए, अपने बच्चे को भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश करते देखना एक आजीवन महत्वाकांक्षा होती है। एक ऐसे देश में जहां निजी उद्यम अभी तक हमारे नीति निर्माताओं द्वारा कल्पना की गई ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचे है, वहा हमारे पास अपने जीवन के अवसरों को बेहतर बनाने का एकमात्र विकल्प सरकारी नौकरी हासिल करना है | सरकारी नौकरी प्राप्त करने से न केवल हमें नौकरी की सुरक्षा मिलती है, बल्कि यह हमारे परिवार का भविष्य सुनिश्चित करने का भी एक साधन होता है।

आंकड़े बताते हैं कि निजी क्षेत्र श्रम बल में प्रवेश करने वाले लाखों युवा भारतीयों को अवशोषित करने में असमर्थ पाए गए हैं | जिस समाज में हम रहते हैं, वहां सरकारी नौकरियों को उच्च सम्मान दिया जाता है और उन्हें उच्च सामाजिक दर्जा दिया जाता है। यही कारण है कि इतने सारे युवा भारतीय सिविल सेवाओं, विशेषकर IAS में प्रवेश करने के लिए इतनी मेहनत करते हैं।

कुछ देश की सेवा या कर्तव्य की भावना से IAS में शामिल होते हैं और उसी के साथ कुछ अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भी  IAS में भर्ती होने का सपना देखते हैं |

6 असफल प्रयासों के बाद मिली सफलता: Awesome story of 6 failed UPSC IAS attempts and then success!! Truly inspiring IAS Story

ऐसा ही एक सपना देखा था तमिल नाडु के एक छोटे से गाँव  के निवासी K. Jaiganesh जी ने | 2008 batch के 156th rank holder, IAS अफसर K. Jaiganesh की कहानि काफी प्रेरणा जनक है। पुरे 7 attempts  के  बाद उन्होने अपने IAS बनने के सपने को पूरा होते हुए देखा | वह अपनी असफलताओं से कभी निराश नहीं हुए और सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक पास करने की अपनी यात्रा पर डटे रहे|

उन्होंने ऐसा कैसे किया? वे कौन से कारण थे जिन्होंने 6 असफल प्रयासों के बाद आखिरकार उन्हें परीक्षा में सफलता प्राप्त करने में मदद की?

इस ब्लॉग द्वारा मैं इन् सवालो के जवाबो को आपके पास पहुँचाने  का प्रयास  करना चाहती हु | इस तरह की कहानियां वास्तव में प्रेरणादायक होती हैं और हमें सपने देखने के लिए उत्साहित करती हैं |

Jaiganesh जी का बचपन और प्रारंभिक जीवन : जीवन की कमियां  आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती . Awesome IAS Motivation

तमिलनाडु के वेल्लोर जिला के विनवमंगलम नामक गाँव में

  1. Jaiganesh जी का जन्म हुआ था | उनके पिता, कृष्णन, एक लेदर फैक्ट्री मैं सुपरवाइजर का काम करते थे और उनकी माँ एक गृहिणी थी | दो बेहेन और एक भाई के साथ पलें बढ़ें .
  2. Jaiganesh घर के सबसे बड़े बेटे थे | पढाई के मामले मैं वह हमेशा सबसे आगे रहे हैं और वह अपनी सभी कक्षाओं में प्रथम स्थान पर रह चुके हैं | 8 वी कक्षा तक अपने गाँव में पढ़ने के बाद वह  अपनी स्कूलिंग ख़तम करने के लिए पास के ही एक टाउन के स्कूल मैं भर्ती हुए।

एक गरीब परिवार से होने के कारण, Jaiganesh जी के जीवन का केवल एक ही लक्षण था – जितनी जल्दी हो सके पढाई खतम करके एक नौकरी की तलाश करना और परिवार चलाने में अपने पिता की मदद करने का। उनके पिता को फैक्ट्री से वेतन के रूप में 4,500 रुपये मिलते थे । उनके लिए अपने चार बच्चों की शिक्षा का ध्यान रखना और इतने कम वेतन में अपने पुरे परिवार की देखभाल करना मुश्किल पर जाता थ।

अपने परिवार को आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए उन्होंने 10 वीं कक्षा के ठीक बाद एक व्यावसायिक कोर्स करने का फैसला किया और एक  पॉलिटेक्निक कॉलेज में अपना नाम भर्ती करवाया | फाइनल परीक्षा के दौरान 91% मार्क्स लेकर पास हुए |

परीक्षा का फल देखने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग  करने का सोचा | अच्छे अंक मिलने के कारण उन्हें सरकारी कॉलेज में सीट सुरक्षित करने का मौका मिला और व Thanthai Periyar Government Engineering college के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े |

उनके पिता ने उनका हमेशा साथ दिया और उनके हर फैसले के साथ खड़े रहे | उनका ये कहना था की गरीब परिवार से होने के कारण उनकी कोई बड़ी महत्वाकांक्षा थी नहीं । इंजीनियरिंग करने के समय भी उनका यही सपना था की वे पढाई पूरी करके अपने लिए एक नौकरी ढूंढे ताकि वे अपने परिवार की देख भल कर पाए। घर के सबसे बड़े बेटे  होने के नाते वह इस जिम्मेदारी को जल्द से जल्द निभाना चाहते थे।

उनके अधिकांश गाँव के दोस्तों ने केवल १० वीं कक्षा तक ही अपनी पढाई पूरी की थी । उनके कई दोस्तों ने तो आर्थिक तंगी मैं आके बीच मैं ही पढ़ाई छोड़ दी और ऑटो चालक, कुली और राजमिस्त्री के रूप से काम करने लगे।

जिसने पढाई की कीमत समझी वही कुछ बना !जयगणेश का शिक्षा से लगाव . UPSC Civil Services becomes easy if you educate yourself

 

वह अपने दोस्तों में एक अकेले थे जो कॉलेज जातें थे और इसका कारण उनके पिताजी थे  । उनके पिता को शिक्षा का मूल्य समझ मैं आता था । वह अपने परिवार के इकलौते सदस्य थे जिसने पढ़ाई पूरी की थी। आर्थिक तंगी के बीच रहने के बाद भी उन्होंने हमेशा जयगणेश जी को अपनी पढ़ाई खत्म करने के लिए प्रोत्साहित किया। |

 

सन 2000 मैं इंजीनियरिंग ख़तम करने के बाद व नौकरी ढूँढने  बैंगलोर चले गए । बंगलौर शहर ने उनकी प्रतिभा को तुरंत पहचान लिया और जल्द ही उन्हें एक कंपनी में नौकरी मिल गई। 2500 रूपए वेतन की ये नौकरी  उनके ज़िन्दगी की सबसे पहली नौकरी थी | उस बड़े शहर में रहते हुए वह अक्सर अपने गांव और अपने दोस्तों के बारे में सोचते थे | उनको अपने आगे बढ़ने की ख़ुशी के साथ साथ अपने दोस्तों के पीछे छूटने का गम  भी था |

उनके गाँव  में बस एक चमड़े का कारख़ाना था जहा सब लोग काम करने जाते था | कई लोगो के पास ढंग से खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे | अर्थात युवा पीढ़ी के जीवन में कोई दिशा नहीं थी और न ही कोई गुरु था जो उनका मार्गदर्शन कर सके | ऐसे ही एक माहौल से आके अधिकारी जयगणेश को जीवन में इतना हासिल करते देखना वाकई प्रेरणादायक है | It is an IAS Motivational Story

नया  शहर और UPSC CSE qualify करके IAS बनने का सपना. He did not know the full form of IAS – Indian Administrative Services. 

 बैंगलोर आने से पहले अधिकारी जयगणेश को न तो सिविल सेवाओं के बारे में कोई जानकारी थी न ही आईएएस अधिकारी होने का मतलब पता था | नए शहर ने उन्हें नए विचारों और जीवन के नए तरीको से अवगत कराया। यहाँ आने के बाद ही उनकी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (Indian Administrative service) के बारें मैं समझ आया |

उसी समय उन्होंने ठान लिया की उन्हें एक सफल IAS अफसर बनके दिखाना हैं | उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने गांव जाने का फैसला किया। वह अपनी पहली नौकरी छोड़ने से नहीं डरे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि वह जीवन में बड़ी चीजें हासिल करने के लिए बने हैं |

उनके इस फैसले उनकी ज़िन्दगी बदल दी . His risk became his foundation to crack the UPSC Civil Services Exam.

इस वक़्त भी उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया और उन्हें मिले 6500 रूपए बोनस को अपने बेटे को UPSC मटेरियल खरीदने के लिए दे दिया | उसके बाद जयगणेश जी ने zero से  hero की तयारी शुरू की | अकेले ही इस UPSC नामक महाभारत  के साथ लड़ने की कोशिश  शुरू की | How to become an IAS Officer

  • पहले दो प्रयास रहे असफल पर जय गणेश ने हार नहीं मानी . No Success in first 2 of UPSC Civil Services Exam but still he did not give up. True Motivation for IAS.

वह पहले दो प्रयासों में वे क्वालीफाई करने में असफल रहे। उनका कोई मार्गदर्शन नहीं था। सिविल सेवाओं की तैयारी कैसे करें, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। जरुरी चीज़ें जैसे उन्हे कौनसा ऑप्शनल पेपर चुनना चाहिए या तैयारी करने का सही तरीका क्या हैं इन् सब के बारें मैं उनकी जानकारी सिमित थी |

मैकेनिकल इंजीनियरिंग को ऑप्शनल पेपर चुनने के कारन उन्हें पहले दो अत्तेम्प्ट्स मैं क्वालीफाई करने मैं कठिनाई आयी | उनके मित्र उमा सूर्य ने उन्हें मैकेनिकल इंजीनियरिंग के जगह सोशियोलॉजी को अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के हिसाप से चुनने का सलाह दिया | फिर भी वे  तीसरे attempt मैं असफल रहे | एक ऑनलाइन प्रकाशन के साथ बात करते समय उन्होन शेयर किया था की उन्होन सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू करने के बाद ही अखबार पढ़ना शुरू किया था। उससे पहले उनका इन सब चीजो के साथ कोई नाता ही नहीं था। तीन बार असफल होने के बाद भी वह निराश कभी नहीं हुए ।

इसके बजाय उन्होंने समस्या क्षेत्रों की पहचान करने की कोशिश की। वह जानते थे  कि उनके पास कोई मार्गदर्शन नहीं है और इसलिए वह ठीक से तैयारी करने में असमर्थ रहे हैं| उन्होंने इस समस्या को हल करने के तरीकों की तलाश की।

इसी के चलते उन्होंने सरकारी कोचिंग सेंटर ज्वाइन करने का सोचा | चेन्नई मैं स्थित एक कोचिंग सेंटर का उन्होंने एंट्रेंस एग्जाम दिया और उस एग्जाम मैं पास हो गए . उनकी मेहनत रंग लाई और अपने चौथे प्रयास में वह UPSC Prelims पास हो गए | वो जिस कोचिंग सेंटर मैं रहते थे उसका एक नियम था की कोई भी वहां केवल अपनी Mains एग्जामिनेशन लिखने तक ही रुक सकते हैं | जयगणेश जी किसी भी कीमत पर अपने गाँव  वापस नहीं आना चाहते थे लेकिन चेन्नई मैं रहना भी उनको महंगा पर रहा था |

अपना खर्चा निकालने के लिए उन्होंने फिर से नौकरी  करने का सोचा लेकिन उन्हें इस बार इंजीनियरिंग से सम्बंधित कोई भी नौकरी ढूढ़ने मैं कठिनाई हो रही थी |

एक वेटर से एक आईएएस अधिकारी तक का उनका सफर. How IAS Toppers Study . IAS Motivational Story

आखिरकार वो सत्यम सिनेमा से जुड़े और वहा उन्होंने बिलिंग काउंटर पर क्लर्क के रूप में काम किया और अंतराल के दौरान उन्होंने कई बार वेटर के रूप से भी काम किया था | इस दौरान उन्हें पर्सनालिटी टेस्ट अर्थात पर्सनल इंटरव्यू के लिए बुलाया गया लेकिन वो इससे पास करने मैं असफल रहे |

इसके बाद जब वो अपने 5th attempt  के लिए गए तब वो prelims में  भी पास नहीं हो पाए | फिर भी वो हताश नहीं हुएँ उन्होंने ये सोचा की इसका कारन क्या हो सकता हैं | उनको समझ मैं आयी की सत्यम सिनेमा मैं काम करने के कारन वो अपनी पढाई मैं ज्यादा ध्यान और समय नहीं दे पा रहे है। उस काम को तुरंत छोड़ के उन्होंने एक कोचिंग सेंटर मैं पढ़ाने का काम शुरू किया | वहा वह UPSC कैंडिडेट्स को सोशियोलॉजी पढ़ाते थे और खुद बाकि सब्जेक्ट्स पढ़ते थे | इस दौरान उनके दोस्तों ने भी उनकी खूब मदद की |

अभी बारी आयी उनके 6th एटेम्पट की।  इस बार उन्होंने prelims और Mains दोंनो निकाल लिया  लेकिन इंटरव्यू राउंड मैं पीछे रह गए. इसी समय उन्होंने एक और सरकारी नौकरी  के लिए एग्जाम दिया था. इंटेलिजेंस ब्यूरो मैं | उनकी वहा एक ही attempt  मैं नौकरी लग गयी थी। वो चाहतें तो उसी नौखरि को चुन सकते थे लेकिन उन्होंने निर्धारित कर लिया था की उन्हें IAS अफसर ही बनना है तो उस पोस्ट को छोड़ के वह अपने 7th और फाइनल attempt  के लिए UPSC CSE परीक्षा  मैं बैठे |

Hard Work and Persistence pays! मेहनत रंग लायी , UPSC CSE का  interview कॉल आया ! How to qualify UPSC Civil Services?

उनकी किस्मत और मेहनत रंग लायी और Prelims और Mains पास करने के बाद उन्हें दिल्ली बुलाया गया आखरी पड़ाव – UPSC सिविल Services Interview/ personality test के लिए |

ये अप्रैल 2008 की बात हैं | करीब 8 साल के बाद उन्हें दिल्ली इंटरव्यू के लिए जाने का मौका मिला | वो अपने सपने को पूरा करने के बिलकुल  करीब पहुँच  चुके थे | इंटरव्यू के दौरान उनको तमिल पॉलिटिक्स और तमिल सिनेमा के बारें मैं पूछा गया था | ये राउंड उनके योजना के अनुसार नहीं गया | घर वापस जातें समय उन्होंने भगवन से यही  प्रार्थना की इस बार वो उनकी सुन ले और उनको पास करवा दे |

परिणाम की घोषणा के दिन अफसर जयगणेश जी काफी चिंता में पड़ गए थे | उन्होंने ज़िन्दगी के लगभग 7-8 साल इस सपने को पूरा करने मैं लगा दिये थे  | वो सोचने लगे की अगर उनका हो गया तो वो क्या करेंगे और अगर न हुआ तो वो क्या करेंगे | इसी चिंता मैं वो पास के एक मैदान मैं जाकर  बैठ गए |

और फिर वह खबर आई जिसने उनकी जिंदगी, उनके परिवार की जिंदगी और उनके गांव की जिंदगी बदल दी| 156th Rank लेकर अफसर जयगणेश एक Civil Services Officer बन गए थे |

पहले तो वो विश्वास  ही नहीं कर पा रहे थे और फिर उनके ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा | उनको ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्होंने कोई जंग  जीत ली |

गाँव के लोग भी बहुत खुश हुए | हाथ में फूलो की माला लिए वो उन्हें बस स्टैंड से लेने आये और जयगणेश जी की सफलता का जश्न मनाने के लिए पटाखे भी चलाये | इससे देख गाँव  वालो के लिए जयगणेश जी का प्यार और मजबूत हो गया| उन्होंने शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ अपने गांव में गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम करने का लक्ष्य ठान लिया | उनका दृढ़ विश्वास है कि यह शिक्षा की एकमात्र चीज़ है जिसने उन्हें अपने जीवन में अब तक सब कुछ हासिल करने में मदद की है |

कोशिस करने वालों की हार नहीं होती: How to become an IAS Officer?

IAS अफसर K. Jaiganesh की कहानी हमें यही सिखाती हैं की कोशिश  करने वालो की कभी हार  नहीं होती | दृढ निश्चय और दृढ़ संकल्प से कोई भी कुछ भी हासिल कर सकता है। हमें कभी भी असफलता को अपने जीवन मैं आने वाली सफलताओ के रास्ते नहीं आने देना चाहिए। बल्कि हमें इसको एक सीख की तरह लेना चाहिए । शिक्षा, म्हणत, और दृढ़ता हमें ज़िन्दगी की किसी भी उचाईओ तक ले जा सकती हैं | एक गरीब परिवार से आने के बाद भी और 6 फेल्ड attempts  के बाद भी जयगणेश जी डटे रहे और अपने सपनो को पूरा किय। उनकी कहानी युवा पीढी के लिए हमेशा प्रेरणा जनक रहेगी |

How to prepare for IAS

 

 

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